दिल्ली: जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में बुधवार की सुबह वाल्मीकि जयंती मनाने को लेकर विवाद हो गया. सफाई कर्मियों का आरोप है कि महर्षि वाल्मीकि की मूर्ति को यूनिवर्सिटी गार्ड ने अंदर नहीं जाने दिया. उन्होंने बताया कि वाल्मीकि जयंती पिछले 6 साल से यूनिवर्सिटी के अंदर मनाई जा रही है. इस बार क्यों नहीं मनाने दिया गया. बता दें कि कल शाम दिवाली समारोह के दौरान जामिया यूनिवर्सिटी में दो छात्र गुटों की भिड़ंत हो गयी थी.
राष्ट्रीय कला मंच ने ज्योतिर्मय 2024 कार्यक्रम का आयोजन किया था. संगीत, रंगोली प्रतियोगिता और दीये जलाने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए थे. एबीवीपी का आरोप है कि छात्रों के एक गुट ने समारोह का विरोध किया. दोनों गुटों में विवाद बढ़ने के बाद मारपीट हो गयी. दोनों गुटों में मारपीट के बाद यूनिवर्सिटी का माहौल तनावपूर्ण है. वहीं दूसरी ओर सफाई कर्मियों का आरोप है कि आज महर्षि वाल्मीकि की मूर्ति को यूनिवर्सिटी गार्ड ने अंदर नहीं जाने दिया, जबकि वे शुरू वहां बाल्मिकी जयंती मनाते आ रहे हैं.
जामिया यूनिवर्सिटी में आज फिर क्यों हुआ विवाद?
सफाई कर्मचारियों का कहना है कि कार्यक्रम आयोजित करने की परमिशन यूनिवर्सिटी प्रशासन और दिल्ली पुलिस से ली गयी थी. गेट पर पहुंचने सफाई कर्मियों को कहा गया कि मूर्ति यूनिवर्सिटी के अंदर ले जाने की इजाजत नहीं है.
वहीं गार्ड ने मामले को लेकर बताया कि मूर्ति काफी बड़ी होने की वजह से यूनिर्वसिटी के अंदर नहीं जा सकती थी. सरिता विहार से बीजेपी पार्षद पति मनीष चौधरी को मामले की शिकायत मिली. पार्षद पति ने जामिया यूनिवर्सिटी के मेन गेट पर पहुंचकर महर्षि वाल्मीकि की मूर्ति की पूजा कर जयंती मनाई. इस दौरान, जामिया यूनिवर्सिटी के सफाई कर्मी भी मौजूद रहे. हालांकि संपर्क करने के बावजूद जामिया यूनिवर्सिटी प्रशासन और प्रवक्ता की तरफ से वाल्मीकि जयंती विवाद पर जवाब नहीं मिला.
विश्वविद्यालय में ऐडहॉक के तौर पर काम करने वाले राजेश वाल्मीकि ने न्यूज नेशन को बताया कि विश्वविद्यालय में उनके समाज के करीब 200-250 कर्मचारी हैं। उन्होंने बताया कि वे जामिया में लगभग 20 साल से काम कर रहे हैं। राजेश का कहना है कि परिसर में काम करने वाले वे तीसरी पीढ़ी के लोग हैं, फिर भी गेट पर एक व्यक्ति ने उनसे आई कार्ड दिखाने की माँग की।
वाल्मीकि समाज के लोगों ने कहा कि उनकी मूर्ति को बाहर रखवा करके उनकी आस्था पर चोट की गई है। उन्होंने कहा कि इस तरह का बर्ताव उनके साथ पहले कभी नहीं किया गया था। पिछले 6 साल में यह पहली बार है, जब उनकी आस्था को चोट पहुँचाई गई। विश्वविद्यालय प्रशासन के इस कट्टरपंथी रूख से वाल्मीकि समाज के लोग काफी आक्रोशित नजर आए।
ST-SC समाज के लोगों के साथ यहाँ होता है भेदभाव
ये पहली बार नहीं है कि दलित समाज के इन सफाई कर्मियों के साथ जामिया विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस तरह का दुर्व्यवहार किया है। इससे पहले जामिया के प्रोफेसर एवं तत्कालीन रजिस्ट्रार नाज़िम हुसैन अल जाफ़री, तत्कालीन डिप्टी रजिस्ट्रार (अब रजिस्ट्रार) मोहम्मद नसीम हैदर और प्रोफेसर शाहिद तसलीम के खिलाफ़ दलित कर्मचारी को जातिसूचक गाली देने पर एससी/एसटी एक्ट में दर्ज किया गया था।
जुलाई 2024 में एक मीटिंग के दौरान अल जाफरी ने सहायक रामनिवास से कहा था, “तुम निचली जाति के हो, तुम भंगी हो और तुम्हें ऐसे ही रहना चाहिए। तुम्हारे जैसे लोगों को आरक्षण के आधार पर नौकरी मिलती है, लेकिन फिर भी उन्हें अपनी जगह का पता नहीं होता। यह मत भूलो कि जामिया एक मुस्लिम विश्वविद्यालय है और तुम्हारी नौकरी हमारी दया पर निर्भर है।”
रामनिवास ने तत्कालीन रजिस्ट्रार नाजिम हुसैन अल जाफरी पर इस्लाम में धर्मांतरण करने का दबाव डालने का भी आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था, डॉक्टर नाजिम हुसैन अल जाफरी ने मुझसे कहा था- ईमान ले आओ, सब ठीक कर दूँगा। तेरे बच्चों का भी करियर बना दूंगा। क्या पाखंड में घुसा है।” यहाँ ईमान लाने से मतलब मुस्लिम बनने से है। इस तरह उन्होंने हिंदू धर्म को पाखंडी बता दिया था।
इसी तरह दलित समाज से आने वाले हरेंद्र कुमार जामिया यूनिवर्सिटी के अधीन आने वाली जामिया मिडिल स्कूल में गेस्ट टीचर थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि दलित होने की वजह से स्कूल के हेडमास्टर मोहम्मद मुर्सलीन उन्हें हमेशा अपमानित और प्रताड़ित करते रहते थे। इसके बाद साल 2018 में उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया।
Source: एबीपी न्यूज़, ऑपइंडिया, News Nation ..delhi-jamia-university-valmiki-jayanti