हरियाणा: कांग्रेस ने पानीपत की इसराना विधानसभा सीट से मौजूदा विधायक बलबीर सिंह वाल्मीकि पर एक बार विश्वास जताया है।
तो वहीँ एक बार फिर कांग्रेस और बीजेपी के पुराने ही दावेदार आमने-सामने है। यहां कांग्रेस से मौजूदा विधायक बलबीर वाल्मीकि और बीजेपी से राज्यसभा सांसद कृष्ण लाल पंवार चुनावी मैदान में है।
कृष्ण लाल पंवार का नामांकन भरवाने के लिए केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर पहुंचे। जबकि बलबीर वाल्मीकि अपने सर्मथकों के साथ पर्चा दाखिल करने आए थे। साल 2019 के चुनावों में बलबीर वाल्मीकि ने कृष्ण लाल पंवार को हराया था। इस बार भी यहां कड़ा मुकाबला हो सकता है।
2014 में बीजेपी में शामिल हुए थे पंवार
बलबीर बाल्मीकि सिंह (जन्म 5 मार्च 1974) हरियाणा राज्य के एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। वे इसराना विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं जो अनुसूचित जाति समुदाय के लिए आरक्षित है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने 2019 हरियाणा विधानसभा चुनाव जीता।
कांग्रेस के मौजूदा विधायक बलबीर सिंह वाल्मीकि ने 2019 के चुनाव में भाजपा के पूर्व मंत्री और पांच बार विधायक रह चुके कृष्ण लाल पंवार को 20,015 मतों से हराया था। लेकिन इस बार भी भाजपा ने उन्हें ही मैदान में उतारा है। इसराना विधानसभा सीट 2009 में परिसीमन प्रक्रिया के बाद 2 छोटे कस्बों इसराना और मतलौडा को मिलाकर अस्तित्व में आई थी।
कृष्ण लाल पंवार यहां से इनेलो के टिकट पर विधायक चुने गए थे। लेकिन 2014 में पंवार भाजपा में शामिल हो गए और यहां से दोबारा विधायक चुने गए। भाजपा सरकार के पहले कार्यकाल में राज्य परिवहन एवं जेल मंत्री रहे। लेकिन 2019 में पंवार के असफल चुनाव लड़ने के बाद भाजपा ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया। 2024 के विधानसभा चुनाव में स्थिति अलग है।
ऐसा ही रहा बलबीर सिंह वाल्मीकि का राजनीतिक सफर
पंचायत चुनाव सियासत की पहली प्रथम सीढ़ी है। इसराना हलके के मौजूदा विधायक बलबीर सिंह वाल्मीकि ने अपना सियासी सफर सरपंच पद से ही शुरू किया था। हालांकि उन्होंने राजनीति के गुर अपनी मां के सरपंच पद पर रहते हुए ही सीखने शुरू कर दिए थे। उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी कि मजदूरी करने वाला कोई व्यक्ति एक दिन गांव की सामान्य गालियों से निकल कर हरियाणा विधानसभा के दरवाजे तक पहुंचेगा।
2000 में पहली बार सरपंच पद का चुनाव लड़ा, हारे और फिर जीते, ऐसा ही रहा राजनीतिक सफर
खंड इसराना के गांव गवालड़ा निवासी बलबीर सिंह वाल्मीकि ने बताया कि उनके सियासी सफर की शुरुआत 2005 में सरपंच पद से शुरु हुई थी, लेकिन सन 1995 में एससी श्रेणी के सरपंच पद पर उसकी मां के सरपंच रहते हुए ही उन्हें सामाजिक व राजनीतिक ताने-बाने के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिला।