जम्मू-कश्मीर: वाल्मीकि 67 साल बाद बार देंगे वोट, जानें जम्मू-कश्मीर चुनाव में क्यों खुश हैं वाल्मीकि समुदाय के लोग

बाहु : जम्मू-कश्मीर की बाहु विधानसभा सीट में गांधी नगर मार्केट से कुछ दूरी पर ही वाल्मीकि मंदिर है। यहां वाल्मीकि समाज के लोग मिले। इस चुनाव में वाल्मीकि समाज के लोग अहम फैक्टर साबित होने वाले हैं। बाहु विधानसभा सीट में वाल्मीकि समाज के 10 हजार वोटर्स हैं। मगर, अहम यह बात है कि सभी पहली बार वोट डालेंगे। अब तक वाल्मीकि समाज के लोगों को विधानसभा चुनाव में वोट देने का अधिकार नहीं था। उनके पास डोमिसाइल नहीं था, इसलिए वे कई अधिकारों से महरूम थे। आर्टिकल- 370 हटने के बाद अब उन्हें भी सभी अधिकार मिल रहे हैं।

वाल्मीकि समाज के लोगों से बात कर उनके दर्द का अहसास हुआ। यहीं पैदा हुए, कई पीढ़ियां गुजर गईं, लेकिन फिर भी वह सब हक नहीं मिला जो दूसरों को मिलता हो, यह दर्द जो भीतर तक झकझोरता है, वह दर्द इन लोगों ने सुनाया।

67 साल तक नहीं मिला हक

वाल्मीकि समाज सभा के अध्यक्ष गारु भाटी ने कहा कि पहली बार 1957 में वाल्मीकि समाज के लोगों को पंजाब से लाया गया था और 67 साल तक कोई हक ही नहीं दिया गया। अब हमें अधिकार मिला है। उन्होंने कहा कि हमारी सात पीढ़ियां खप गईं, हमारे बुजुर्ग इस दुनिया से चले गए, उन्हें उनके अधिकारों से महरूम रखा गया। जब विधानसभा चुनाव होते थे तो सफाई कर्मचारी समाज ही साफ-सफाई कर चुनाव के लिए इंतजाम करता था लेकिन वह वोट नहीं दे सकता था। अब पहली बार हम वोट देंगे। उन्होंने कहा कि आर्टिकल- 370 और 35A से हमारे अधिकारों का हनन हो रहा था, लेकिन अब हमें हमारा अधिकार मिला है।

खुश हैं वाल्मीकि समाज के लोग

यशपाल म्युनिसिपल कॉरपोरेशन में हैं। वह कहते हैं कि अब मैं भी आगे बढ़ सकता हूं सैनिटरी इंस्पेक्टर भी बन सकता हूं और सिलेक्शन ग्रेड सुपरवाइजर भी बन सकता हूं। पहले सफाई कर्मचारी ही बनते थे और सफाई कर्मचारी ही मर जाते थे। लेकिन अब हम अपनी पढ़ाई, अपनी योग्यता से कुछ भी बन सकते हैं। वह कहते हैं कि अब जिंदगी जीने में अच्छा भी लग रहा है। पहले गुलामी-सी लगती थी। लगता था हम औरों से अलग हैं। पर अब अच्छा महसूस हो रहा था।

बाहु विधानसभा पहले गांधी नगर विधानसभा का हिस्सा थी लेकिन परिसीमन के बाद यह नई विधानसभा बनी है। पिछले यानी 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां से BJP उम्मीदवार कवींद्र गुप्ता जीते थे। इस बार BJP ने विक्रम रंधावा को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस के उम्मीदवार टी. एस. टोनी हैं। इस सीट पर तीसरे चरण में यानी पहली अक्टूबर को वोटिंग होनी है।

एडमिशन की रुकावट हुई दूर

एकता वाल्मीकि समाज की पहली बच्ची हैं, जिन्होंने हायर एजुकेशन में प्रफेशल कोर्स में एडमिशन लिया है। पहले इस समाज के लोगों को प्रफेशनल कोर्स में एडमिशन का हक भी नहीं था। एकता कहती हैं कि पहले पढ़ लिखकर भी हमारे लिए सफाई कर्मचारी की ही जॉब थी, हमें कोई और सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती थी। हमें प्रफेशल कोर्स में भी एडमिशन नहीं मिलता था। अब मैं LLB कर रही हूं और मेरा सपना है कि मैं जुडिशरी का एग्जाम क्रैक करूं।

बीना ने भी LLB में एडमिशन लिया है। वह कहती हैं कि पहले काला कानून था जो हमारे आगे बढ़ने की राह में बाधा था। थॉमस प्राइवेट जॉब कर रहे हैं। वह कहते हैं कि सरकारी जॉब के लिए ट्राई करता तो पहले सिर्फ सफाई कर्मचारी की ही जॉब मिलती। अब मैं पटवारी बनने की तैयारी कर रहा हूं। जब भी पटवारी की पोस्ट आएगी मैं उसके लिए अप्लाई करूंगा।

Source: DDNews, नवभारत टाइम्स 

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